अत्र तत्र सर्वत्र फैला इश्क का बुखार
कैसे नैना होते चार
सारा विस्मित है संसार
भेंट होती बस एक बार
चलता डिजिटल पत्राचार
पीछे पड़ता है घरवार
पुस्तक खोलो लम्बरदार
बगल में रहते हें सरदार
बेटा टॉप करे हर बार
किस्मत हमरी है बेकार
फिर बैक होगी इस बार
मचता रहता हाहाकार
मेरा होगा नरसंहार
ढूँढना होगा एक रोजगार
खुद पर होता है धिक्कार
मिल जाये कोई भी पगार
छोड़ दूंगा ये परिवार
फिर फ़ोन में बजती है झंकार
भूलो जो भी हुआ है यार
फ़ोन पे शुरू हो गया प्यार
अब भाड़ में जाए परिवार, रोजगार, पगार, सरदार
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