Thursday, 12 May 2022

धडकते दिलों की फडकती जवानी

अत्र तत्र सर्वत्र फैला इश्क का बुखार 

कैसे नैना होते चार

सारा विस्मित है संसार

भेंट होती बस एक बार

चलता डिजिटल पत्राचार

पीछे पड़ता है घरवार

पुस्तक खोलो लम्बरदार

बगल में रहते हें सरदार

बेटा टॉप करे हर बार

किस्मत हमरी है बेकार

 फिर बैक होगी इस बार

मचता रहता हाहाकार

मेरा होगा नरसंहार

ढूँढना होगा एक रोजगार

खुद पर होता है धिक्कार

मिल जाये कोई भी पगार

छोड़ दूंगा ये परिवार

फिर फ़ोन में बजती है झंकार

भूलो जो भी हुआ है यार

फ़ोन पे शुरू हो गया प्यार

अब भाड़ में जाए परिवार, रोजगार, पगार, सरदार

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